नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मुकदमे में तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने याचिकाकर्ता केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और सीबीआई की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू की घंटों दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रखने का फैसला किया।
पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान राजू ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को जमानत दिए जाने की दलीलों का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि विशेष अदालत को दरकिनार करने की अनुमति केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जा सकती है।
इस पर केजरीवाल पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत आरोपी को नोटिस जारी करने के संबंध में वर्तमान याचिका में उठाए गए आधारों पर हिरासत के दौरान बहस की गई थी। इसके बाद विशेष अदालत ने उसे खारिज कर दिया था। इसलिए याचिकाकर्ता को फिर से उसी मुद्दे पर वहां बहस करने के लिए वापस भेजना न्यायोचित नहीं होगा।
पीठ ने आबकारी नीति 2021-22 (जो विवाद के बाद वापस ले ली गई थी) मामले में सीबीआई की गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देने वाली और इसी मुकदमे में जमानत की मुख्यमंत्री केजरीवाल की ओर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
आम आदमी पार्टी के प्रमुख केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से 5 अगस्त को अपनी याचिकाएं ठुकरा दिए जाने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज मुकदमे में केजरीवाल को 12 जुलाई को अंतरिम जमानत दे दी थी।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्हें अंतरिम जमानत दी थी। ईडी ने 21 मार्च और सीबीआई में 26 जून 2024 को आरोपी मुख्यमंत्री केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। सीबीआई की गिरफ्तारी के समय वह ईडी के मुकदमे में न्यायिक हिरासत में थे।
सीबीआई ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुकदमे में मार्च से न्यायिक हिरासत में बंद आरोपी मुख्यमंत्री केजरीवाल को अदालत की अनुमति के बाद 25 जून को पूछताछ और फिर 26 जून को गिरफ्तार किया था।