बंगाल के स्कूलों में अतिरिक्त पद सृजन के फैसले की सीबीआई जांच का आदेश रद्द

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में अतिरिक्त पद सृजित करने के पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल के फैसले की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि संविधान ने स्पष्ट रूप से न्यायालयों को मंत्रिमंडल के फैसलों और राष्ट्रपति/राज्यपाल को दी गई सलाह की जांच करने से रोक दिया है। ‘अतिरिक्त पद’ का तात्पर्य ऐसे अस्थायी पद से है जो किसी ऐसे कर्मचारी को समायोजित करने के लिए बनाया गया है जो नियमित पद के लिए पात्र है और जो (पद) वर्तमान में उपलब्ध नहीं है।

पीठ ने हालांकि अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित अन्य पहलुओं की कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा निर्देशित सीबीआई जांच जारी रहेगी।

शीर्ष अदालत ने राज्य द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा की गई 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को 3 अप्रैल 2025 को बरकरार रखा था। न्यायालय तब हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य और पूरी चयन प्रक्रिया को दूषित और दागदार करार दिया था।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि हमारी राय में यह एक ऐसा मामला है जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया को दूषित और दागदार कर दिया गया है जिसका समाधान नहीं किया जा सकता। बड़े पैमाने पर हेराफेरी और धोखाधड़ी और उसे सामान्य दिखाने के प्रयास ने चयन प्रक्रिया को इतना नुकसान पहुंचाया है कि उसे सुधारा नहीं जा सकता। इतना ही नहीं, उसे आंशिक रूप से भी सुधारा नहीं जा सकता। इस तरह चयन की विश्वसनीयता और वैधता समाप्त हो गई है।

शीर्ष अदालत ने तब उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल, 2024 के फैसले को बरकरार रखा था, जिसने ग्रुप सी और डी में गैर-शिक्षण कर्मचारियों और नौवीं और 10वीं कक्षा के साथ-साथ कक्षा 11वीं और बारहवीं के लिए सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग द्वारा आयोजित पूरी चयन प्रक्रिया को खारिज कर दिया गया था।