नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी के नेता कबीर शंकर बोस के खिलाफ मारपीट और यौन उत्पीड़न मामलों की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराए जाने के आदेश दिए।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने बोस की ओर से दायर उस रिट याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण उनके खिलाफ झूठे आपराधिक आरोप लगाए गए थे।
न्यायमूर्ति मिथल ने कहा कि मामले के विशिष्ट तथ्यों को देखते हुए प्रतिवादियों को दो प्राथमिकियों के अनुसार जांच के कागजात और इसके पूरा होने के लिए सभी रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपने के लिए एक रिट जारी की जाती है, ताकि यदि आवश्यक हो तो मुकदमा शुरू हो और पक्षों को न्याय मिल सके। तदनुसार रिट याचिका को अनुमति दी जाती है।
बोस ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि इन मामलों की साजिश उनके पूर्व ससुर तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने रची थी। उन्होंने दावा किया कि छह दिसंबर-2020 को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल से सुरक्षा मिलने के बावजूद उन्हें घर से बाहर निकलने से अवैध रूप से रोका गया और बाद में उन पर हमला किया गया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रतिशोध के कारण उनके खिलाफ झूठे आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।