द ढूंढाड टॉक्स-2025 : भारत का विचार ‘वसुधैव कुटुंबकम’

जयपुर। आज पूरी दुनिया विभिन्न समस्याओं से त्रस्त है। भारत का विचार ‘वसुधैव कुटुंबकम’ विश्व की इन समस्त समस्याओं का समाधान है। यह बात प्रखर वक्ता एवं आरएचआरडी संरक्षण जसवंत खत्री ने कही। खत्री शनिवार को प्रदीप गोपाल स्मृति न्यास सांगानेर, एयू बैंक एवं पूर्णिमा ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में सीतापुरा स्थित पूर्णिमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नॉलॉजी में चल रहे दो दिवसीय ‘द ढूंढाड टॉक्स-2025’ कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।

मुख्य वक्ता खत्री ने कहा कि दुनिया के दो सौ देशों में घूमकर आने वाले को ‘उसे बचाओ-बचाओं जैसे आवाजें निश्चित सुनाई देगी। इन समस्त समस्याओं का समाधान दुनिया के अन्य देशों के पास नहीं है। यह केवल भारत के पास है। भारत का ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का ही विचार दुनिया को बचा सकता है।

उन्होंने कहा कि दुनिया की विदेशी ताकतों द्वारा योजना से भारत में ऐसी समस्याएं खडी करने का प्रयास लम्बे समय से चल रहा है। इन सबसे बचना है तो भारत को भी अपने मूल स्वाभाव को समझने की आवश्यकता है। ‘कण-कण में भगवान’ यह केवल स्लोगन नहीं है यह परिपूर्ण विचार है जो दुनिया का कल्याण और शांति स्थापित कर सकता है। इसी विचार के कारण दुनिया में देषों के मध्य दुश्मनी की दीवारें ढह रही है। भारत के स्व के विचार को जीवन में उतारना होगा। इसके लिए प्रबल इच्छाशक्ति, तीव्रदेषभक्ति व सामाजिक समझदारी चाहिए। अगर ऐसा कर पाए तो दुनिया को हम समाधान दे सकेंगे।

मुख्य अतिथि विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि भारत केवल मिट्टी का टुकडा नहीं है, यह जीता जागता राष्ट्र है। इसने दुनिया को हर क्षेत्र में ‘आईना’ दिखाया है। भारत दुनिया में आदि काल से विश्वगुरू था, है और भविष्य में भी विश्वगुरू रहेगा।

हमारा जिंदादिल समाज, उसे कोई तोड ना सका : चकलोई

‘राजस्थान का अनछुआ गौरव’ विषयक 6ठें सत्र को संबोधित करते हुए लेखक, वक्ता एवं इतिहास विशेषज्ञ राजवीर चकलोई ने कहा कि हमारा समाज जिंदादिल समाज है। कई आक्रांता आए कई गए लेकिन हमारे समाज और संस्कृति को खत्म नही कर पाए। भले ही मंदिर-मूर्तियां को तोडा। लेकिन फिर भी वो समाज को संस्कृति से अलग नही कर पाए। जिंदादिली समाज ने मूर्तियां खण्डित होने के बाद भी खेतों में मिट्टी के चबूतरों पर पत्थरों की मूर्तियां लगाकर पूजा शुरू कर दी।

जिस प्रकार आक्रांता कुछ नहीं बिगाड पाए तो मार्क्सवाद भी कुछ नहीं बिगाड पाएगा। हमारी धर्म-संस्कृति की अनमोल बाते अगली पीढी में कैसे उतरे उसकी चिंता करने की ज्यादा जरूरत है। इतना कर लिए तो मार्क्सवाद कुछ नहीं बिगाड सकते। इसी सत्र में पाथेयकण सह प्रबंध प्रमुख श्यामसिंह ने भी ‘राजस्थान का अनछुआ गौरव’ पर प्रकाष डाला।

अन्य स़त्रों में ‘राष्ट्रहितं मम कर्तव्यम’ की झलक

‘राष्ट्रहितं मम कर्तव्यम’ थीम आधारित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में शनिवार को भी सत्र रहे। पांचवां सत्र मातृशक्ति के नाम रहा जिसमे लेखिका शेफाली वेद्य व नेशनल पेनेलिस्ट अधिवक्ता चारू प्रज्ञा ‘आधी आबादी पूरा कर्तव्य’ विषयक मंच साझा किया। सातवा सत्र भी युवा-रोजगार के केंद्रित रहा, जिसमें प्रथम सोफ्टवेयर के सीईओ पुनीत मित्तल व शशिकांत सिंघी ‘स्व रोजगार की ओर बढ़ता युवा’ विषय के माध्यम से अपने अनुभव आदान-प्रदान किए।

भारत कभी विश्वगुरु

एयू स्माल फ़ाईनेंस बैंक के संस्थापक, एमड़ी और सीईओ संजय अग्रवाल ने कहा कि भारत एक नए विचारों के साथ आगे बढ़ रहा है, जहाँ तरक्की और हमारी पुरानी संस्कृति एक साथ चल रहे हैं। असली बदलाव यही है कि हम अपनी पुरानी विरासत को साथ लेकर नए रास्ते पर चलें। भारतीय संस्कृति, जो विज्ञान और दर्शन पर आधारित है, हमेशा से आगे की सोच वाली रही है, और हमारी पुरानी समझ आज भी हमें रास्ता दिखाती है।

एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक में, इसी पुराने और नए के मेल को सम्मान देते हैं। हमारी कोशिशें नए विचारों को बढ़ावा देती हैं, साथ ही उन मूल्यों को भी बनाए रखती हैं जो हमारी पहचान हैं। भारत कभी विश्वगुरु था, और मुझे लगता है कि हम सही बदलाव के साथ फिर से उसी ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं—ऐसा बदलाव जो अपनी जड़ों का सम्मान करता है और तरक्की की प्रेरणा देता है।