थाने में हमला : तीन लेफ्टिनेंट कर्नलों सहित 16 जवानों के खिलाफ प्राथमिकी

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में सीमावर्ती कुपवाड़ा जिले के एक थाने में सोमवार रात हुए हमले में शामिल होने के आरोप में तीन लेफ्टिनेंट कर्नल सहित 16 सैन्यकर्मियों को नामजद किया गया है।

इन पर एक पुलिसकर्मी का अपहरण करने और अन्य पुलिसकर्मियों को लात, डंडे तथा राइफल बट से पीटने और घायल करने का आरोप लगाया गया है। सेना के जवानों पर हत्या के प्रयास, दंगा, अपहरण और डकैती समेत भादस के अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया गया है। हमले में पांच पुलिसकर्मी उस समय घायल हो गए जब सेना के जवान कथित तौर पर रात 11.40 बजे के आसपास पुलिस स्टेशन में अनधिकृत रूप से घुस आए।

प्राथमिकी में नामजद अधिकारियों में 160 प्रादेशिक सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल अंकित सूद, राजू चौहान और निखिल शामिल हैं। पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि तीन अधिकारियों के नेतृत्व में 160 प्रादेशिक सेना के बड़ी संख्या में सशस्त्र और वर्दीधारी जवान अनाधिकृत रूप से पुलिस स्टेशन कुपवाड़ा के परिसर में घुस गए।

प्राथमिकी में लिखा है कि उन्होंने सामूहिक रूप से और बिना किसी उकसावे के गैरकानूनी रूप से एकत्र होकर पुलिस स्टेशन में मौजूद कर्मचारियों और अधिकारियों पर राइफल बट, लात और डंडों से गंभीर हमला किया।

इसमें कहा गया कि सूचना तुरंत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी गई जो उन्हें बचाने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंचे। पुलिस इकाइयों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के आगमन को देखकर लेफ्टिनेंट कर्नल अंकित सूद, राजू चौहान और निखिल के नेतृत्व में 160 प्रादेशिक सेना के कथित कर्मियों और अधिकारियों ने अपने हथियार लहराए और घायल कर्मियों और कुपवाड़ा थानाधिकारी इंस्पेक्टर मोहम्मद इशाक के मोबाइल फोन छीन लिए और भागते समय उन्होंने एमएचसी गुलाम रसूल को अपने साथ अगवा कर लिया और मौके से फरार हो गए।

सेना के जवानों पर भादस और और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने पुलिस उपाधीक्षक सईद पीरजादा मुजाहिदुल हक के तहत जांच शुरू की है। सेना की छापेमारी पुलिस द्वारा किसी जांच में वांछित एक स्थानीय टीए जवान के आवास पर छापेमारी के बाद हुई थी।

श्रीनगर स्थित एक रक्षा प्रवक्ता ने सोमवार को इस घटना को अधिक तवज्जो नहीं दी और कहा कि पुलिस और सेना के जवानों के बीच विवाद और पुलिस कर्मियों की पिटाई की खबरें गलत हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों और एक क्षेत्रीय सेना इकाई के बीच मामूली मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है।