नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य जवाहर सरकार ने गुरुवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को संसद के उच्च सदन से अपना त्यागपत्र सौंपा।
सरकार ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना के प्रति पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के रवैये से क्षुब्ध होकर संसद की सदस्यता और राजनीति छोड़ने की घोषणा पहले ही कर दी थी।
सेवानिवृत्त प्रशासनिक (आईएएस) अधिकार सरकार ने सोशल मीडिया पर उपराष्ट्रपति के साथ अपनी मुलाकात और त्यागपत्र की प्रति सार्वजनिक किया है। उन्होंने लिखा कि सर, मेरा समय पूरा हुआ। मैंने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को आज संसद भवन में अपना त्यागपत्र सौंप दिया।
सरकार ने इसी पोस्ट में लिखा कि मैं अब बोलने और लिखने के लिए स्वतंत्र हूं। मैं अधिनायकवाद, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार और पर्यावरण के विनाश के लिए अपना संघर्ष तेज करूंगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्त्री-पुरुष समानता, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करुंगा।
सरकार ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था कि मैं एक सांसद के तौर पर इस्तीफा दे रहा हूं क्योंकि आरजी कर अस्पताल दुष्कर्म और हत्या मामले के बाद जनांदोलन को पश्चिम बंगाल सरकार ने गलत तरीके से निपटने का प्रयास किया। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस और राज्य सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए और कहा था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में सरकार के खिलाफ ऐसा अविश्वास और जन आक्रोश कभी नहीं देखा था।
उन्होंने यह भी लिखा था कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हत्या और दुष्कर्म के उपरोक्त मामले में सख्त कदम उठाने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारी डॉक्टरों से सीधे बात तक नहीं की और सरकार की ओर से जो भी कदम उठाए गए थे वह पर्याप्त नहीं थे।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर भ्रष्ट चिकित्सों के समूह पर कार्यवाही की जाती और निंदनीय घटना के बाद प्रशासनिक लापरवाही करने वाले दोषियों के खिलाफ तुरंत दंडात्मक कार्यवाही की जाती तो राज्य में स्थिति सामान्य हो गई होती।