दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम बसन्तोत्सव ने बांधा समां
अजमेर। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम बसन्तोत्सव में अतिथि बनकर आए पुराने छात्र छात्राओं ने समां बांध दिया।
विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय के विद्यार्थियों के लिए बसन्तोत्सव कार्यक्रम दूसरे दिन पूरे परवान पर रहा। समारोह के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के पूर्व छात्र एबीएल माथुर (गूंज एवं सप्तक सांस्कृतिक समिति संयोजक) व विशिष्ट आतिथि एबीआरएसएम के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो. सुभाष चन्द्र, पूर्व छात्र सबगुरु न्यूज के संपादक विजय सिंह मौर्य, रमेश, मुकेश परिहार एवं संगीत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष नासिर मोहम्मद मदनी (मल्हार उत्सव अजमेर संभाग संयोजक) रहे। अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) मनोज कुमार बहरवाल ने की।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का भव्य आगाज राग बसंत एवं शिव वंदना से हुआ। मुख्य अतिथि माथुर की किशोर कुमार के गीत झुमरू व जिंदगी एक सफर है सुहाना की प्रस्तुति पर सभागार तालियों से गूंज उठा। पश्चिमी शास्त्रीय वाद्य वायलिन पर मेयो कॉलेज के संगीत विभाग के प्रभारी ने एक प्यार का नगमा है व रहे ना रहे हम गीत की धुन बजाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। अतिथि मुकेश परिहार ने भी कभी दूर जब दिन ढल जाए गीत प्रस्तुत किया। महाविद्यालय के संगीत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नासिर मोहम्मद मदनी ने चुपके-चुपके गजल पेश की एवं अपने विद्यार्थी जीवन के अनुभव साझा किए।
विद्यार्थियों ने दी एक से बढकर एक प्रस्तुतियां
विद्यार्थियों की ओर से दी प्रस्तुतियों का आगाज अंशिका ने कल रात मेरे घर एक चोर आया… गीत से किया। हर्षिता शर्मा ने पहाड़ी गीत धन मेरा नाम है…, पिंटू ने मैंनु लहंगा…, विनीता ने पिंटू अफरीन अफरीन…, मोनिका ने मेरे ढोलना…, अन्वेशा व नताशा, सुनिता ने साढी गली ना आया करो… पंजाबी गीत पर नृत्य से माहौल को मस्तीमय कर दिया। इन प्रस्तुतियों के दौरान सभागार रहे रहकर तालियों की गडगडाहट से गूंजता रहा। हर्षिता व एंजल ने युगल नृत्य डोला रे डोला, दमादम मस्त कलंदर पर रिया, शिवा व हर्षिता की प्रस्तुति पर दर्शक भी थिरक उठे।
संगीत विभाग के छात्र छात्राओं ने बांधा समां
संगीत विभागाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र कुमार एवं डॉ. संगीता शर्मा के कुशल मार्गदर्शन में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं की ओर से पेश एकल एवं युगल गीतों के जरिए संगीत की प्रतिभा झलकी। कृष्णा ने फेरो ने नजर से नजरिया गीत, निधि तोमर ने यह समां है प्यार का…, सचिदानंद ने मितवा…, विनोद ने सैया रे सैया…, अब्दुल सामनी ने गुलाबी आंखें…, दीपक मूंदड़ा ने आओगे जब तुम सजना…,देवांश ने तेरी दीवानी… तथा डेनिस ने बाजे रे मुरलिया गीत की प्रस्तुति दी। इन गीतों पर पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
देवांश एवं महाविद्यालय के विशेष योग्य छात्र हेमन्त के देश भक्ति गीत ने सभागार को राष्ट्रभक्ति के रंग में रंग दिया। राजस्थानी नृत्य पर छात्र-छात्राओं की प्रस्तुतियों को खूब सराहा गया। महाविद्यालय के छात्र दीपक देवड़ा ने सेक्सोफोन पर प्यार दीवाना होता है…की धुन पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया। लोकेश साहू, संजू कुमारी एवं ग्रुप की ओर से आईसीसीसी में द्वितीय स्थान प्राप्त माइम की प्रस्तुति को सभी ने सराहा।
‘द्रोपदी चीर हरण’ नाटिका का मंचन
भारतीय संस्कृति के आदि महाकाव्य महाभारत की रोमांचकारी लघु नाटिका ‘द्रोपदी चीर हरण‘ का प्रस्तुतीकरण के दौरान द्रोपदी द्वारा भगवान श्रीकृष्ण को सहायता के लिए पुकारने वाले दृश्य ने सभी को भावुक कर दिया। इस नाटिका का मंचन में नेहा भट्ट, हर्ष गुप्ता एवं ग्रुप ने किया।
‘पन्नाधाय एवं चंदन की स्वामी भक्ति’
महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार बहरवाल ने पन्नाधाय एवं चंदन की स्वामी भक्ति एवं बलिदान को बताते हुए कहा कि इतिहास में यह घटना नहीं होती तो ना महाराणा प्रताप होते, ना ही उदय सिंह होते और ना ही होती मेवाड़ की गौरव गाथा। उन्होंने ‘फिर मिलोंगे कभी, इस बात वादा कर लो‘ प्रस्तुत किया। मार्मिक, आकर्षक एवं प्रभावशाली भूमिका अदा करने वाले नाट्य पात्रों को स्वयं की ओर से 1100 रुपए प्रति पात्र प्रोत्साहन राशि प्रदान किए। इस नाटिका का निर्देशन प्रो. मोहिता प्रसाद व प्रो. मोनिका मिश्रा ने किया। मुख्य अतिथि एबीएल माथुर ने संगीत को एक उपासना, एक साधना मानते हुए कहा कि यह वह अभिव्यक्ति है जो एक पृथक व्यक्तित्व का निर्माण तो करती ही है साथ ही जीवन जीने की शैली में जीवनन्ता भी प्रदान करती है।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. दिनेश भार्गव, प्रो. सरिता चांवरिया, प्रो. जितेंद्र थदानी एवं डॉ. सुनीता चावला ने किया। सांस्कृतिक मंच प्रभारी प्रो. अनिता कोठारी ने सभी का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक समिति सह संयोजक प्रो. भारती प्रकाश, सांस्कृतिक समिति के सभी सदस्यों एवं अनुशासन समिति के सभी सदस्यों का सहयोग रहा।