बांकुड़ा/कोलकाता। पश्चिम बंगाल में केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार को मंगलवार को उनके निर्वाचन क्षेत्र बांकुरा के एक पार्टी कार्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं ने लगभग दो घंटे तक बंद रखा और उन पर केवल अपने करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार आखिरकार स्थानीय पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा कर्मियों ने सरकार को बाहर निकाला। एक बैठक को संबोधित करने के लिए पार्टी कार्यालय में प्रवेश करते ही स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने सबसे पहले उनका घेराव किया और फिर मंत्री को कार्यालय में बंद कर बाहर से दरवाजे पर ताला लगा दिया।
प्रदर्शनकारी कमरे के बाहर इकट्ठा होकर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उन्होंने अपने स्थानीय सांसद पर आरोप लगाया कि सरकार ने अपने करीबी लोगों का पक्ष लिया और 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं की अनदेखी की।
पुलिस को पार्टी कार्यालय में बंद मंत्री और उनके करीबी समर्थकों को बचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। सरकार ने बाहर आने पर कोई टिप्पणी नहीं की क्योंकि वह बाहर निकलने के बाद भी प्रदर्शनकारियों का सामना कर रहे थे, जो सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की कर रहे थे। पुलिस ने इस संबंध में दो प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। राज्य भाजपा नेतृत्व ने अब तक इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
खबरों के अनुसार भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंत्री के सुरक्षा गार्डों के साथ झड़प की। बांकुड़ा के भाजपा संगठनात्मक जिलाध्यक्ष सुनील रुद्र मंडल कथित रूप से सरकार को बचाने के लिए पार्टी कार्यालय पहुंचे लेकिन उन्हें भी पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा।
स्थानीय पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और दो लोगों को गिरफ्तार किया। मंडल ने कथित रूप से कहा कि प्रदर्शनकारी भाजपा कार्यकर्ता नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि उन लोगों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि यह दर्शाता है कि भाजपा अंदरूनी कलह के कारण राज्य में बिखर रही है। टीएमसी ने कहा कि प्रत्येक गुजरते दिन के साथ बंगाल में भाजपा बिखर रही है क्योंकि अंदरूनी लड़ाई अपने चरम पर पहुंच चुकी है! बांकुड़ा में हिंसक झड़पें हुईं और भाजपा कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार को पार्टी कार्यालय में बंद कर दिया। पार्टी के अंदर एकता की बात एक मिथ्या है और भाजपा वास्तव में कमजोर नींव और गलत प्राथमिकताओं का एक शानदार उदाहरण है।