अजमेर। राजस्थान में अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें सालाना उर्स का झंडा दरगाह के बुलंद दरवाजे पर परम्परागत तरीके से चढ़ाया गया। इसी के साथ उर्स-2025 का आगाज हो गया। उर्स का विधिवत शुरू रजब माह का चांद दिखाई देने पर एक अथवा दो जनवरी से होगा।
अजमेर में दरगाह कमेटी के गरीब नबि गेस्ट हाउस से झंडे का जुलूस निकाला गया। जुलूस में झंडे को थामे भीलवाड़ा के गौरी परिवार के पोते फखरुद्दीन चल रहे थे। जुलूस गाजे-बाजे और कव्वालियों के साथ फूल गली के रास्ते दरगाह निजामगेट होता हुआ दरगाह के 85 फुट ऊंचे बुलंद दरवाजे पहुंचा, जहां मुतवल्ली सैय्यद असरार हुसैन की सदारद में रोशनी से पहले झंडा चढ़ाने की पुरानी पारम्परिक धार्मिक रस्म पूरी की गई। झंडा चढ़ाने से पहले दरगाह के पीछे पीर साहब की पहाड़ी से 25 तोप के गोले दाग कर सलामी दी गई।
जुलूस से पहले, जुलूस के दौरान झंडे की एक झलक के लिए ‘आशिकाना-ए-ख्वाजा’ का हुजूम उमड़ पड़ा। दरगाह कमेटी के कारिंदों को मोटे रस्सों के सहारे नियंत्रण बनाना पड़ा। पुलिस भी मुस्तैद रही।
झंडे की रस्म के बाद अब एक जनवरी को तड़के जन्नती दरवाजा खोला जाएगा। रात को चांद नहीं दिखाई देने पर दरवाजा बंद करके अगले दिन फिर से खोला जाएगा, जो उर्स में छह दिनों में आम जायरीन के लिए खुला रहेगा और कुल की छठी पर मामूल कर दिया जाएगा। आज से खिदमत का समय भी बदल गया। साथ ही मजार शरीफ पर साल भर पेश किया संदल उतारा जाएगा और इसे उर्स के दौरान जायरीन में बांटा जाएगा।
झंडे की रस्म में हजारों जायरीन ने भाग लिया। अब उर्स में भाग लेने के हजारों जायरीन के आने का सिलसिला शुरू होगा। महरौली से छड़ी और झंडे लेकर रवाना हुए मलंग एवं कलंदरों का जत्था भी एक जनवरी को अजमेर पहुंच करके ख्वाजा के दर छड़ी पेश करेंगे।