अजमेर। जिले के पशु चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना के बहिष्कार करने के निर्णय से सरकार को अवगत कराते हुए शुक्रवार को कलक्टर भारती दीक्षित को ज्ञापन सौंपा।
राजस्थान पशु-चिकित्सक संघ के महासचिव डॉ आलोक खरे ने बताया कि पशु चिकित्सकों की बहु प्रतीक्षित मांग नॉन प्रैक्टिस एलाउंस की रही है। जिसके लिए पशु चिकित्सकों द्वारा आंदोलन भी चलाया गया था। सरकार के वित्त विभाग ने इस मांग पर विचार कर सहमति जताई और आश्वासन भी दिया गया था कि जल्दी ही मुख्यमंत्री इसकी घोषणा करेंगे।
मुख्यमंत्री गहलोत ने भीलवाड़ा में कामधेनु पशु बीमा योजना के शुभारंभ के साथ पशु चिकित्सकों की मुख्य मांग नॉन प्रैक्टिस एलाउंस की घोषणा नहीं की और सरकार की हठधर्मिता निरंतर जारी है।
उल्लेखनीय है कि इस योजना के अंतर्गत 80 लाख पशुओं का निःशुल्क बीमा किया जाना है और इस बीमा योजना की जिम्मेदारी पशु-चिकित्सकों पर ही है। पशु चिकित्सकों द्वारा पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर स्वास्थ्य प्रमाणपत्र जारी करना और अन्य बीमा सम्बंधित कार्यवाही किया जाना अपेक्षित है।
पशु-चिकित्सकों को प्रत्येक पशुपालक के घर जाना होगा। डॉ खरे ने बताया कि राजस्थान के पशु चिकित्सकों के दोनों संघ, राजस्थान पशु-चिकित्सक संघ और वेटनरी डाक्टर्स एसोसिएशन इस संबंध में एकमत और एक साथ हैं। उनकी मांग है कि जब तक सरकार नॉन प्रैक्टिस एलाउंस की घोषणा नहीं करती है तब तक सरकार की हर योजना का बहिष्कार किया जाएगा।
राजस्थान वेटनरी डाक्टर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ सुधाकर सैनी ने बताया कि पशुपालन विभाग के पशु-चिकित्सकों से गोपालन विभाग का कार्य भी करवाया जा रहा है। इस विभाग ने पशु चिकित्सकों द्वारा गौशालाओं का सत्यापन किए जाने के आदेश दिए हैं। ताकि गौशालाओं को अनुदान दिया जा सके। राज्य के पशु चिकित्सकों द्वारा गोपालन विभाग की इस योजना का बहिष्कार किया जाएगा।
ज्ञापन देने वालों में डॉ मुदित नारायण माथुर, डॉ रचना जैन, डॉ सुनील घिया, डॉ मनोज माथुर, डॉ रिपु मधुकर, डॉ मुकेश गुर्जर, डॉ सपन गोस्वामी, डॉ अशोक यादव, डॉ पृथ्वी सिंह, डॉ सौरभ अमरवाल डॉ साकेत पाठक आदि पशु चिकित्सक मौजूद थे।