अजमेर। भारतीय शास्त्रीय संगीत केवल मनोरंजन नहीं अपितु व्यक्ति के आत्मरंजन और भगवत प्राप्ति का साधन है। यह विचार पुष्कर मार्ग स्थित आदर्श विद्या निकेतन माध्यमिक विद्यालय परिसर में चल रहे विद्या भारती संस्थान अजमेर जिले के घोष एवं संगीत के पांच दिवसीय शिविर के समापन अवसर पर बोलते हुए जिला संगीत विषय प्रमुख लोकेंद्र दत्त ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि संगीत साधना विद्यार्थियों में जहां सैनिकों जैसा अनुशासन और साहस विकसित करती है, वहीं मीरा जैसी भक्ति भी संगीत से प्राप्त होती है। अतः जीवन भर अहंकार से मुक्त रहते हुए अपनी साधना को और अधिक बलवती करते रहना चाहिए।
घोष और संगीत शिविर के संयोजक भूपेंद्र उबाना ने बताया की 25 से 30 अप्रैल तक आयोजित पांच दिवसीय शिविर में विद्या भारती संस्थान अजमेर जिले के 17 में से 12 विद्यालयों के 105 भैयाओं और 10 आचार्यों ने भाग लिया। शिविर में तबला, ढोलक, हारमोनियम, आनक, शंख(बिगुल) तथा वंशी वादन का प्रशिक्षक मयंक कोटवानी, ममता सोनी, ज्योति खोरवाल, रोनक बंजारा, हेमंत, विशाल ने प्रशिक्षण दिया।
शिविर दर्शन को शुक्रवार को आए अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने विद्या भारती और स्थानीय विद्यालय की छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा विद्यालय में नवीन कक्ष निर्माण के लिए 5 लाख रूपए का सहयोग भी किया।
समापन कार्यक्रम के अवसर पर विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत के कोषाध्यक्ष राधेश्याम अग्रवाल, भारत विकास परिषद के उपाध्यक्ष कृष्ण गोपाल बंसल, अशोक गोयल सहित विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष बद्रीप्रसाद सोनी, सचिव योगेश गौड़, कोषाध्यक्ष सुधीर भारद्वाज आदि गणमान्यजन उपस्थित रहे।