रायपुर। पंच एवं सरपंच से राजनीति की शुरूआत करने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं आदिवासी नेता विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के अगले मुख्यमंत्री होंगे। साय भाजपा विधायक दल की आज यहां हुई बैठक में नेता चुन लिए गए।
साय को भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की पार्टी पर्यवेक्षकों केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा एवं सर्वानंद सोनोवाल,पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम के अलावा पार्टी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, सह प्रभारी केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडविया एवं सह प्रभारी नितिन नबीन की उपस्थिति में हुई बैठक में सर्वसम्मति से नेता चुना गया। साय के नाम का प्रस्ताव पार्टी उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने किया जबकि वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल, लता उसेन्डी ने उसका समर्थन किया। जिस पर सभी सदस्यों ने अपना समर्थन व्यक्त किया।
साय नेता चुने जाने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरूण साव एवं पर्यवेक्षक केन्द्रीय मंत्रियों के साथ राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन से मुलाकात की और उन्हें नेता चुने जाने का पत्र सौंपा।राज्यपाल ने उऩ्हें मुख्यमंत्री नियुक्त करते हुए कैबिनेट के गठन के लिए आमंत्रित किया हैं।
भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद साय ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विधानसभा चुनाव के दौरान दी गई गारंटी को शत प्रतिशत पूरा करने का वह प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि पूरी ईमानदारी से सभी को विश्वास में लेकर वह काम करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद पहला काम गरीबों को 18 लाख आवास की मंजूरी देना होंगा। साय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, राज्य के प्रभारी ओम माथुर, सह प्रभारी केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडविया के प्रति एक छोटे से कार्यकर्ता पर विश्वास जताने के लिए आभार जताया।
लगभग 59 वर्षीय साय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1989 में जशपुर जिले की बगिया ग्राम पंचायत के पंच के रूप में की थी, बाद में अगले ही वर्ष बगिया के निर्विरोध सरपंच निर्वाचित हुए। वह 1990 में हुए अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव में तपकरा सीट से पहली बार विधायक चुने गए और 1998 तक इस सीट का विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया।इसके बाद 1999 में पहली बार रायगढ़ सीट से लोकसभा के लिए चुने गए।इसके बाद इस सीट से ही वह 14वीं, 15वीं एवं 16वीं लोकसभा के लिए चुने गए।
साय 2014 में रायगढ़ संसदीय सीट से चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले मंत्रिमंडल में इस्पात, खान तथा श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के राज्य मंत्री रहें। 2019 में छत्तीसगढ़ की सभी 11 संसदीय सीटों पर नए प्रत्याशी उतारने के भाजपा के निर्णय के कारण साय को टिकट नहीं मिल पाया। उन्हें फिर 2020 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। वह इस पद पर 2022 तक रहे। इससे पहले भी वह 2006 एवं 2011 में भी प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं।
मौजूदा समय में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य साय जशपुर जिले की कुनकुरी सीट से विधायक चुने गए हैं। साय जनसंघ की पृष्ठिभूमि वाले परिवार के है। उनके बड़े पिता स्वं नरहरि प्रसाद साय 1962 से 1967 तक लैलूंगा सीट से विधायक, 1972 से 77 तक बागीचा तथा 1977 में केन्द्रीय संचार राज्यमंत्री भी रहे।
राज्य में विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 54 सीटो पर जीत कर पांच वर्ष बाद सत्ता में वापसी की है। राज्य में 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को आदिवासी क्षेत्रों में शानदार सफलता मिली है। उसे जहां आदिवासी बाहुल सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटें तथा बस्तर संभाग की 12 में आठ सीटों पर सफलता मिली है।
राज्य की कुल 29 विधानसभा सीटे आदिवासियों के लिए आरक्षित है, इनमें से 17 पर भाजपा ने कब्जा किया है। माना जा रहा है कि पार्टी ने इसके मद्देनजर आदिवासी नेता को राज्य की कमान सौंपने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह का भी उऩ्हें समर्थन प्राप्त रहा हैं। वह डा.सिंह के काफी करीबी माने जाते हैं।
नवम्बर 2000 में मध्यप्रदेश को विभाजित कर आस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ में साय भाजपा के दूसरे मुख्यमंत्री होंगे। राज्य गठन के बाद पहली बार 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता में आई थी। इसके बाद लगातार 2008 एवं 2013 में भी भाजपा ने चुनाव जीता और डा.रमन सिंह लगातार तीनों बार मुख्यमंत्री रहे थे।
पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह होंगे छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष