जयपुर। प्रदेश की राजधानी जयपुर की जीवनदायिनी धरोहर रामगढ़ बांध के पुनर्जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने आज रामगढ़ बांध की पाल पर मरम्मत एवं सौंदर्यीकरण कार्यों का विधिवत शिलान्यास किया। यह परियोजना लगभग 2.52 करोड़ रुपए की लागत से क्रियान्वित की जाएगी और आगामी एक साल में पूर्ण कर ली जाएगी।
इस अवसर पर मंत्री रावत ने कहा कि जयपुरवासियों की वर्षों पुरानी मांग थी कि रामगढ़ बांध को पुनर्जीवित किया जाए। इस दिशा में आज का यह कदम ऐतिहासिक है। यह न केवल जल प्रबंधन की दृष्टि से अहम है, बल्कि विरासत संरक्षण और पर्यटन की दृष्टि से भी मील का पत्थर साबित होगा।
उन्होंने बताया कि इसके अंतर्गत बांध के डूब क्षेत्र में स्थित सीढ़ियों, प्राचीन छतरियों एवं ऐतिहासिक गुम्बद की मरम्मत एवं जीर्णोद्धार। कंट्रोल रूम व मुख्य दीवारों की मरम्मत एवं सौंदर्यीकरण। पाल क्षेत्र में पारंपरिक शैली में पत्थर की चिनाई एवं हरियाली विकास के कार्य तथा प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण एवं प्रकाश व्यवस्था का भी प्रावधान किया गया है।
राम जल सेतु लिंक परियोजना से जुड़ाव
जल संसाधन मंत्री रावत ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार जल संरचनाओं के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। रामगढ़ बांध को राम जल सेतु लिंक परियोजना के साथ जोड़ा गया है। इस परियोजना के तहत 120 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के माध्यम से रामगढ़ से बीसलपुर योजना को जोड़ा जाएगा, जिससे राजधानी जयपुर को प्रतिदिन 3.50 एमएलडी अतिरिक्त पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। यह योजना विशेष रूप से संशोधित पीएचईडी-इंजीनियरिंग मॉडल के तहत तैयार की गई है, जिसमें जल संग्रहण, शुद्धीकरण एवं वितरण की संपूर्ण श्रृंखला शामिल है।
जल संसाधन मंत्री रावत ने बताया कि यह परियोजना केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर कार्य नहीं, बल्कि जनभावनाओं, विरासत संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन का प्रतीक है। इसके माध्यम से न केवल जयपुर की जल संकट समस्या को आंशिक समाधान मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्र एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित होगा। इस अवसर पर जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेन्द्र सिंह, जमवारामगढ़ विधायक महेन्द्र पाल मीणा एवं अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।
रामगढ़ बांध : ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
इस बांध का निर्माण सन् 1903 में किया गया था। इसका कैचमेंट क्षेत्र लगभग 84.31 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जल भंडारण क्षमता 705.04 मिलियन क्यूबिक फीट (एमसीएफटी) है। वर्ष 1978 के बाद से अब तक केवल दो बार ही इसमें पर्याप्त मात्रा में जल संग्रहण हो पाया है। कभी जयपुर शहर की मुख्य जल स्रोत रहा यह बांध, वर्षों से उपेक्षित था।