जयपुर। राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि माही नदी को लूणी नदी से जोड़ने के लिए पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना की फिजिबिलिटी रिपोर्ट का कार्य केंद्र सरकार के उपक्रम वेपकॉस द्वारा किया जा रहा है और इसके तहत प्राप्त संशोधित इन्सेप्शन रिपोर्ट का परीक्षण प्रक्रियाधीन है।
रावत प्रश्नकाल में पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए वेपकॉस को कार्यादेश दिया गया है। इस रिपोर्ट के माध्यम से माही बेसिन के अधिशेष जल को कडाना बांध से सुजलाम-सुफलाम परियोजना के जरिये जालौर जिले को पानी उपलब्ध कराने का अध्ययन किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि वेपकॉस द्वारा फिजिबिलिटी रिपोर्ट का प्रारंभिक प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया गया है।
उन्होंने कहा कि बजट घोषणा वर्ष 2024-25 के तहत रन ऑफ़ वाटर ग्रिड स्थापित करने के एक घटक के रूप में माही बेसिन के अधिशेष जल को मार्ग में पड़ने वाले बांधों का पुनर्भरण करते हुए जवाई बांध में प्रवाहित कर जालौर जिले में पहुंचाया जाएगा। इसकी डीपीआर व पीएफआर भी वेपकॉस द्वारा बनाई जाएगी।
रावत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान के तहत जल अधिशेष नदियों को कम पानी वाली नदियों से जोड़ने के लिए 30 लिंक्स का चिह्निकरण किया गया है। राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण द्वारा राजस्थान में संशोधित पार्वती कालीसिंध चम्बल लिंक, शारदा-यमुना लिंक, यमुना-राजस्थान लिंक और राजस्थान साबरमती लिंक के लिए तीन अलग-अलग फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की गई है। केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात और नेपाल के साथ सहमती के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही इस सम्बन्ध में टास्क फ़ोर्स का भी गठन किया गया है।
इससे पहले विधायक भैरा राम चौधरी के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में मारवाड़ के जिलों में भी सिंचाई के लिए बनाई जा रही परियोजना की फिजिबिलिटी रिपोर्ट प्राप्त होने पर उसकी उपादेयता के आधार पर डीपीआर बनाने के लिए बजट प्रावधान बाबत विचार किया जाना प्रस्तावित है।