कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को सर्वसम्मति से सख्त अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया, जिसमें अन्य प्रावधानों के अलावा पीड़िता की मौत की स्थिति में दुष्कर्मी के लिए मृत्युदंड की सिफारिश की गई है।
विधेयक को विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों के समर्थन से विधानसभा में पारित किया गया, हालांकि इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उल्लेख किया कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर अधिक है, जिस पर भाजपा सदस्यों ने जोरदार विरोध जताया। विधेयक को अब राज्यपाल सी वी आनंद बोस और उसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने इस विधेयक को ऐतिहासिक और पिछले महीने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दुष्कर्म के बाद मार डाली गई जूनियर डॉक्टर को श्रद्धांजलि बताया। इसके साथ ही,पश्चिम बंगाल दुष्कर्म और यौन अपराधों से निपटने वाले केंद्रीय कानूनों में संशोधन करने वाला पहला राज्य बन गया है।
मुख्यमंत्री ने अपने जवाब के अंत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना की और उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म अब राष्ट्रीय शर्म बन गया है। आइए हम सामाजिक सुधार के लिए एक साथ आएं, जो दुष्कर्म को रोकने के लिए जरूरी है।
विधेयक के सख्त प्रावधानों के अनुसार अगर दुष्कर्मी के अपराध के परिणामस्वरूप पीड़िता की मौत हो जाती है या वह अचेतावस्था में चली जाती है, तो उसे फांसी की सजा दी जाएगी। विधेयक में दुष्कर्म के दोषियों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास की भी सिफारिश की गई है।
अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 में हाल ही में पारित भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 कानूनों और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, ताकि पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के जघन्य कृत्य की त्वरित जांच और सुनवाई के लिए रूपरेखा का निर्माण किया जा सके तथा दोषियों के लिए दंड बढ़ाया जा सके।
कानून मंत्री मलय घटक की ओर से प्रस्तुत विधेयक को चर्चा और सदन की नेता एवं मुख्यमंत्री के जवाब के बाद सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने विधेयक पारित किये जाने की घोषणा की और दो दिवसीय विशेष सत्र के अंत में सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।
चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने विधेयक का समर्थन करते हुए सदन को बताया कि यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि विधेयक कानून बने और जल्द से जल्द लागू हो। अधिकारी ने कुछ लिखित संशोधन भी दिए थे, जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया। इस अस्वीकृति के दौरान भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाए और हत्या की शिकार प्रशिक्षु डॉक्टर (31) के लिए न्याय की मांग की।
गौरतलब है कि महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना तथा इस घटना पर राष्ट्रीय आक्रोश के मद्देनजर यह विधेयक पारित किया गया है। घटना के बाद से राज्य के जूनियर डॉक्टर ओपीडी हड़ताल पर हैं, जो पिछले 26 दिनों से जारी है।