कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु को चुनाव आदर्श आचार संहिता का कथित उल्लंघन करने के लिए ममता सरकार को मंत्रिमंडल से हटाने का निर्देश दिया, जिसके बाद बोस ने पलटवार करते हुए उनके (राज्यपाल) संवैधानिक अधिकार पर सवाल उठाया।
बसु ने हाल ही में मालदा जिले में गौर बंगा विश्वविद्यालय परिसर में एक बैठक की थी।राजभवन ने वक्तव्य में कहा कि 30 मार्च 2024 को ब्रत्य बसु (शिक्षा मंत्री) के नेतृत्व में अन्य मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और राजनीतिक नेताओं की गौर बंगा विश्वविद्यालय में आयोजित एक राजनीतिक बैठक के आलोक में, कुलाधिपति और राज्यपाल ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि दोषी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की जाए जिसने जानबूझकर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है।
वक्तव्य के मुताबिक राज्यपाल ने कहा कि आप कितने भी ऊंचे रहें लेकिन कानून आपसे ऊपर है। अपने खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने अपनी संवैधानिक सीमा लांघ दी है।
बोस ने दो अप्रैल को राज्य सरकार को आदर्श आचार संहिता का कथित उल्लंघन करने के लिए बसु को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का निर्देश दिया था। राज्यपाल ने सरकार को निर्देश देने से पहले हाल ही में गौर बंगा विश्वविद्यालय के कुलपति को हटा दिया था जिसके बाद गतिरोध उत्पन्न हो गया और जवाबी कार्रवाई में शिक्षा विभाग ने कुलपति को पद पर बने रहने के लिए कहा।
इसके बाद बसु ने 30 मार्च को विश्वविद्यालय परिसर में टीएमसी से संबद्ध प्रोफेसरों के मंच डब्ल्यूबीसीयूटीए के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें सांसद, टीएमसी उम्मीदवार और मंत्री और विधायक सहित कुछ राजनीतिक हस्तियां मौजूद थीं, जिसे राज्यपाल ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना।
मंत्री ने एक पोस्ट में पलटवार करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार किसी मंत्री की नियुक्ति या हटाने की सिफारिश करने का अधिकार मुख्यमंत्री को है। राज्यपाल ने न केवल अपना वास्तविक रंग दिखाया है, बल्कि उन्होंने अपनी संवैधानिक सीमा भी लांघ दी है।