कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की और उन्हें उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की याद दिलाई।
इस बीच ममता-सरकार और आंदोलनकारी डॉक्टरों के बीच बातचीत फिर से विफल हो गई।दरअसल डॉक्टरों ने मांग की कि बैठक और वार्ता का राज्य सचिवालय नबन्ना से सीधा प्रसारण किया जाए, लेकिन सरकार ने जोर देकर कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता क्योंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) नौ अगस्त को आरजी कर अस्पताल में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की जांच कर रही है।
दो घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने के बाद मुख्यमंत्री बनर्जी ने एक मीडिया कॉन्फ्रेंस की और शाम करीब सात बजे नबन्ना से चली गईं। बनर्जी ने कहा कि हम आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बहुत सहानुभूति रखते हैं, क्योंकि हम प्रशिक्षु चिकित्सक के लिए न्याय चाहते हैं लेकिन साथ ही हम आम लोगों के प्रति भी जवाबदेह हैं जो पिछले एक महीने से अधिक समय से इलाज न मिलने के कारण परेशानी का सामना कर रहे हैं।
बनर्जी ने दावा किया कि हड़ताल के कारण 27 लोगों की मौत हो गई है, सात लाख से अधिक लोग इलाज से वंचित हैं और 1500 से अधिक मरीज ऑपरेशन के लिए इंतजार कर रहे हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन-चार जूनियर डॉक्टरों को छोड़कर बाकी सभी सरकार से बात करना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि कुछ डॉक्टर अन्य ताकतों के इशारे पर काम कर रहे हैं, जो कुर्सी चाहते हैं।
डॉक्टरों ने हालांकि बनर्जी के इस आरोप से साफ इनकार किया। बंगाल में हड़ताली डॉक्टरों ने गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलकर अपना आंदोलन खत्म करने के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया था।
हड़ताली डॉक्टरों की मुख्यमंत्री के साथ बैठक एक महीने से अधिक समय से सरकारी अस्पतालों में सेवाओं के ठप होने से पीड़ित लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है। सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर गत नौ अगस्त से बाह्यरोगी विभागों में सेवाएं नहीं दे रहे हैं।