अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़, हाइवे पर बीच रास्ते उतारा

काफिले पर नहीं कंट्रोल
जम्मू। श्री अमरनाथ बाबा के दर्शन करने आए भक्तों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यात्रा पूरी कर कोनवॉय के साथ लौट रहे भक्तों को बस चालक ने बीच रास्ते हाइवे पर कोनवॉय की बस से उतारकर किसी अनजान बस में बैठा दिया। ऐसे में जहां यात्रियों को डरते डरते यात्रा करनी पड़ी, वही दोगुना किराया भी देना पड़ा।

बालटाल बेस कैम्प से 9 जुलाई की तड़के सीआरपीएफ की कड़ी निगरानी में कोनवॉय जम्मू भगवती नगर बेस कैम्प के लिए रवाना हुआ। जत्थे में दर्जनों वाहन शामिल थे। अजमेर से गए यात्री दल ने बताया कि उन्हें एक निजी अधिकृत बस पी-47 में जगह मिली। बस चालक मुस्लिम था। उसने उन्हें अपने साथ कैबिन में बैठाया। प्रति यात्री 700 रुपए किराया लिया गया। रास्ते में बस चालक की संदिग्ध गतिविधियों को लेकर यात्री आशंकित रहे। बस चालक डीजल भराने के बहाने बार बार अपने वाहन को सुरक्षा काफिले से बाहर निकालने की कोशिश करता रहा लेकिन सीआरपीएफ के जवान उसे धमकाकर ऐसा करने से रोकते रहे।

बस ब्रेक डाउन, यात्री सड़क पर

नोशरी टनल से कुछ किलोमीटर पहले बस चालक ने बस खराब होने का बहाना बनाते हुए सभी यात्रियों को हाइवे पर उतार दिया। उसने पीछे से आ रही बस को रुकवाया और कुछ यात्रियों को यह कहते हुए उसमें चढ़ा दिया कि यह भी हमारी बस है। उसने करीब 15 अमरनाथ यात्रियों को बस संख्या JK02DD7149 में बैठा दिया। वह निजी स्लीपर बस थी जिसमें अधिकांश मुस्लिम यात्री सवार थे। उन्होंने अमरनाथ यात्रियों से यह कहते हुए दुर्व्यवहार किया कि आप लोग यहां क्यों आते हैं। उन्होंने बस में जगह को लेकर धक्का मुक्की भी की। इस बस के कंडक्टर ने प्रति यात्री 300 रुपए किराया और वसूल लिया जबकि अमरनाथ यात्री बस संख्या P-47 के चालक को पूरा किराया पहले ही दे चुके थे।

नोशरी से जम्मू तक अमरनाथ यात्रियों ने काफी तनावपूर्ण माहौल में यात्रा की। बस चालक ने उन्हें प्राइवेट बस अड्डे उतारा। वहां से यात्री बस संख्या P-47 के चालक की शिकायत दर्ज कराने भगवती नगर पहुंचे, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें एंट्री नहीं दी। इस पर कुछ यात्रियों ने श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को ऑनलाइन शिकायत भेजी है।

यह कैसी सुरक्षा?

आतंकी हमलों के बीच इस बार अमरनाथ यात्रा में कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। लेकिन मामूली ढील किसी बड़ी वारदात का सबब बन सकती है। इन यात्रियों का कहना है कि हमने कोनवॉय में सफर करना इसलिए मुनासिब समझा कि हम सुरक्षित तरीके से बालटाल से जम्मू लौट सकेंगे लेकिन हुआ उल्टा। उन्हें बीच रास्ते किसी अन्य बस में बैठा दिया गया। उनके साथ कोई भी अनहोनी हो सकती थी। हैरानी की बात यह भी है कि बीच रास्ते अमरनाथ यात्रियों को उतार दिए जाने के बावजूद साथ चल रहे सीआरपीएफ के वाहन नहीं रुके। न ही यात्रियों को सुरक्षित रूप से अन्य वाहन में बैठाने की व्यवस्था की।

P-47 के चालक पर होनी चाहिए कार्रवाई

अमरनाथ यात्रियों को पहलगाम और बालटाल बेस कैम्प तक पहुंचाने के लिए श्राइन बोर्ड बड़ी संख्या में जम्मू कश्मीर रोडवेज की बसें लगाता है। साथ ही कई निजी बसें भी अधिकृत करता है। रूट के हिसाब से इन बसों को विशेष नम्बर अलॉट किए जाते हैं। जैसे बालटाल बेस कैम्प जाने वाली बसों को B-1,2,3 और पहलगाम बेस कैम्प जाने वाली बसों को P-1,2,3, ये वाहन तड़के एक साथ सीआरपीएफ की सुरक्षा एवं निगरानी में एक साथ रवाना होते हैं।

अमरनाथ यात्रियों का कहना है कि अगर कोनवॉय में चल रही बस खराब हो गई थी तो P-47 के चालक को अपने सभी यात्रियों को सुरक्षित रूप से कोनवॉय की ही दूसरी बस में बैठाना चाहिए था लेकिन उसने श्रीनगर से जम्मू के बीच चलने वाली नियमित बस में आम सवारियों के बीच अमरनाथ यात्रियों को बैठा दिया।