मोदी सरकार की उपलब्धि नकारने में क्यों लगे माउंट आबू के भाजपा नेता?

माउंट आबू में उपखंड अधिकारी कार्यालय के समक्ष रैली के बाद पहुंचे अनूसूचित जाति जनजाति समुदाय के लोग।
माउंट आबू में उपखंड अधिकारी कार्यालय के समक्ष रैली के बाद पहुंचे अनूसूचित जाति जनजाति समुदाय के लोग।

परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज – माउंट आबू। माउंट आबू के भाजपा नेताओ के द्वारा माउंट आबू नगर पालिका को पालिकाध्यक्ष की सीट अनारक्षित करने की मांग के विवाद के बाद अब माउंट आबू के भाजपा नेता माउंट आबू में मोदी सरकार की देन को छिपाने में लगे हैं।

अब वो ये कहते नजर आ रहे हैं कि माउंट आबू नगर पालिका क्षेत्र 2006 से टीएसपी में शमिल है न कि 2018 में शामिल किया है। ये दलील वो अपनी मांग के पक्ष में देने की कोशिश कर रहे हैं कि 2006 से टी एस पी क्षेत्र में होने के बाद भी माउंट आबू नगर पालिका में ओबीसी, एससी और इसके बाद एसटी के लिए पालिकाध्यक्ष का पद आरक्षित रहा है।

केंद्र सरकार का 2018 का वो नोटिफिकेशन जिसके6 बाद माउंट आबू नगर पालिका को टीएसपी में डाला था।
केंद्र सरकार का 2018 का वो नोटिफिकेशन जिसके6 बाद माउंट आबू नगर पालिका को टीएसपी में डाला था।

– दस्तावेज में ये है हकीकत
दस्तावेजों और समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की मानें माउंट आबू के भाजपा के नेताओं की अपनी ही पार्टी और शहर में दी जा रही जानकारी पूरी तरह से भ्रामक है कि माउंट आबू नगर पालिका क्षेत्र 2006 से टीएसपी क्षेत्र में है। दरअसल केंद्र सरकार ने 2018 में राजस्थान के पाली, उदयपुर राजसमंद और चित्तौड़ ज़िलों को टीएसपी क्षेत्र में शमिल किया था।

इससे पहले डूंगरपुर -बांसवाड़ा पूर्ण तथा उदयपुर, प्रतापगढ़ और सिरोही जिले आंशिक रूप से टीएसपी में शामिल थे। 2018 में इन जिलों में नए क्षेत्र टीएसपी में जोड़े गए थे। इनमें सिरोही जिले के आबूरोड की सम्पूर्ण तहसील को टीएसपी में शामिल किया गया था। इसी में आबूरोड और माउंट आबू नगर। पालिका। क्षेत्र भी टीएसपी के दायरे में आए थे।
-ये लिखा था नोटिफिकेशन में
4 नए जिलों को टीएसपी के दायरे में लाने और पुराने जिलों में टीएसपी के विस्तार का नोटिफिकेशन संख्या 325 केंद्र सरकार ने 19 मई 2018 को जारी किया था। तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर से जारी इस तीन पेज के नोटिफिकेशन में समस्त आबूरोड तहसील और पिंडवाडा तहसील के उन गांवों के नाम लिखे हैं जिन्हे टीएसपी में शामिल किया गया था।

तत्कालीन सांसद देवजी पटेल के हवाले से आबूरोड तहसील के 51 गांवों व दो नगर पालिकाओं और पिंडवाड़ा तहसील के 14 गांवों को टीएसपी में शामिल करने के केंद्रिय जनजाति मंत्रालय के प्रस्ताव को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने का समाचार तो अप्रैल 2018 को ही सिरोही जिले के अखबारों में प्रकाशित हो गया था। इसी। कारण इस विधानसभा चुनाव में पिंडवाड़ा तहसील के शेष गांवों को टीएसपी में शामिल करने का मुद्दा छाया था।
-पहला चुनाव था 2019
माउंट आबू नगर पालिका के टीएसपी घोषित होने के बाद नवंबर 2019 में पहला नगर पालिका चुनाव हुआ था। इसमें यहां की पालीकाध्यक्ष की सीट अनुसूचित जाति जनजाति की हो गई थी। वही आबूरोड नगर पालिका में पालीकाध्यक्ष की सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थी।

क्योंकि संविधान के भाग 9 की उपधाराओं के अनुसार नगर पालिकाओं के अध्यक्ष के पद को आरक्षित करने का अधिकार राज्य सरकार में निहित है ऐसे में यहां पर टीएसपी के प्रावधानों के आलावा भी प्रावधान राज्य सरकार के सकती है। लेकिन, दस्तावेजों और समाचारों की मानें तो माउंट आबू के भाजपा नेताओ माउंट आबू नगर पालिका के 2006 से टीएसपी क्षेत्र में होने और इसके बाद फिर भी यहां पर ओबीसी, एसटी महिला, एससी और इसके बाद अब एसटी के लिए आरक्षित होने की दलील पूरी तरह से आधारहीन है।

इनका कहना है….
टीएसपी क्षेत्र में 2018 में शामिल क्षेत्र ने जुड़े थे इससे पहले नहीं थे। टीएसपी क्षेत्र में किसी क्षेत्र को शामिल करने की प्रक्रिया पंचायत स्तर के। प्रस्ताव से शुरु होती है। फिर विधानसभा से पास होकर केंद्र सरकार के पास जाता है, वहां से अंतिम घोषणा होकर नॉटीफिकेशन जारी होता है।
देवजी पटेल
पूर्व सांसद, जालोर – सिरोही।

 

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