जयपुर। राजस्थान में विधानसभा आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 115 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत पाने के 5वें दिन भी अपने मुख्यमंत्री के नाम का चयन ना कर पाना यक्ष प्रश्न बना हुआ है। आखिर वो कौन सी ताकत है जो अंदरखाने भाजपा को भी बैचेन किए हुए है। अंदरखाने सीएम चयन को लेकर आरएसएस की पसंद, ना पसंद को दरकिनार कर पाना भाजपा के नीति निर्धारकों के लिए आसान नहीं लग रहा।
मुख्यमंत्री के नाम का चयन करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं की नई दिल्ली में बैठके चल रही है और प्रदेश के नेताओं का भी उनसे मिलने का दौर चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भले ही मीडिया के सामने जयपुर से यह कहकर दिल्ली पहुंची कि वे अपनी बहू से मिलने जा रही हैं लेकिन उनकी अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात को मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी से जोडकर देखा जा रहा है।
भाजपा में मुख्यमंत्री की दौड़ में राजे सहित कई नेताओं के नाम सुर्खियों में है जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा बालकनाथ की चल रही है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इनके अलावा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, गजेन्द्र सिंह शेखावत एवं अश्वनी कुमार, पार्टी के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर तथा विधायक दिया कुमारी के नामों की मुख्यमंत्री के लिए लोगों में चर्चा हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री के नाम का चयन पार्टी आलाकमान तय करेगा।
चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा की अभी विधायक दल की बैठक नहीं हुई हैं और नहीं बैठक से पहले दिल्ली से आने वाले पार्टी के पर्यवेक्षकों की नियुक्ति हुई हैं। अभी पार्टी में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर ही बैठकों का दौर चल रहा है और इस बीच पिछले दो दिन में जयपुर में राजे के आवास पर दर्जनों विधायकों की मुलाकात भी चर्चा का विषय बनी हुई हैं। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का कहना है कि सब कुछ ठीक हैं और जीत के बाद उनसे भी कई विधायक मिल चुके हैं इसमें चर्चा जैसी कोई बात नहीं हैं।
उन्होंने राजे के दिल्ली जाने को भी जीत के बाद इसे एक स्वाभाविक प्रक्रिया बताया है। भाजपा के राजस्थान के लिए मुख्यमंत्री के नाम के चयन में जितना समय लग रहा हैं उससे लोगों में उतनी मुख्यमंत्री को लेकर उत्सकुता बढ़ती जा रही है और लोगों में यह चर्चा ज्यादा हो रही है कि कौन हो सकता है मुख्यमंत्री। इनमें लोगों में बालकनाथ को लेकर चर्चा ज्यादा देखने को मिल रही है। उधर, राजनीति के जानकार आरएसएस की ओर से मुख्यमंत्री पद को लेकर सधी चुप्पी को अप्रत्यक्ष दखल के रूप में मान रहे हैं। अंदरखाने यहां तक कहा जा रहा है कि बात सिर्फ आरएसएस की हां अथवा ना पर अटकी हुई है।
उधर, इस बार बहुमत हार चुकी कांग्रेस ने चुनाव के बाद अपने विधायक दल की बैठक कर ली हैं और इसमें अपने नेता प्रतिपक्ष के चयन का फैसला पार्टी के आलाकमान पर छोड़ दिया हैं। हालांकि कांग्रेस भी अभी अपने नेता प्रतिपक्ष के नाम का चयन नहीं कर पाई हैं।
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