राजस्थान विधानसभा में भावुक क्यों हुए स्पीकर वासुदेव देवनानी?

जयपुर। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी मंगलवार को विधानसभा में भावुक हो गए और उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एवं बजट सत्र की शेष अवधि के लिए सदन से निलंबित गोविंद सिंह डोटासरा पर उनका अपमान करने का आरोप लगाया।

देवनानी ने डोटासरा की उन पर टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि 1952 से राजस्थान विधानसभा चल रही है, अब तक ऐसी घटना नहीं घटी, विरोधाभाष एवं धरने भी हुए लेकिन ऐसी बात नहीं सुनी गई जिसमें सारी गरिमा और मर्यदातार तार हुई हो।

उन्होंने इस बात को भी गलत बताया कि गतिरोध दूर करने के लिए पक्ष विपक्ष दोनों सहमत थे केवल अध्यक्ष सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि सदन से निलंबित सदस्यों को सदन से बाहर चला जाना चाहिए लेकिन नहीं गए और धरना दिया गया इसके बाद उनके लिए सारी व्यवस्था की गई।

इसके बावजूद कल जो दृश्य हुआ वह शर्मशार करने वाला है। बड़ा मन करके बातचीत के लिए बुलाया गया और तय हुआ कि गतिरोध समाप्त करने के लिए खेद प्रकट करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मैने ऐसा व्यवहार कभी नहीं देखा, इसको तो बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब इस मामले में जो भी करना हैं सदन को करना हैं।

उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि वह आत्मा के साथ कह सकते है कि उन्होंने कभी पक्षपात नहीं किया। आसन का सम्मान रहे परम्परा जिंदा रहे और सदन की मर्यादाओं का पालन हो।

उन्होंने कहा कि वह किसी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के भाषण के शब्दों को दोहरा नहीं सकते। हर किसी ने उन्हें अखबारों में पढा है। वे शब्द सदन के अंदर कहे गए है, चाहे सदन की कार्यवाही चल रही हो या नहीं लेकिन सदन में बोले गए शब्द बहुत गंभीर है और अपमानजनक था। उन्होंने कहा कि यह मेरा अपमान नहीं किया गया, यह कुर्सी का अपमान किया गया हैं। ऐसा व्यक्ति सदन का सदस्य बने रहने के योग्य नहीं हैं। अब सदन को तय करना है कि इस मामले में क्या करना हैं।

सदन के बाहर देवनानी ने कहा कि उनकी भावुकता को कमजोरी ना समझा जाए। उन्होंने कहा कि मानवीय भावनाओं के कारण सदन में मर्यादाओं के उल्लंघन करने वालों की बातों से उनके मन को काफी ठेस पहुंची थी, जिसके कारण वह सदन में भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि सदन में मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा।

देवनानी ने कहा कि वह सदन में पक्ष और प्रतिपक्ष में भेदभाव नहीं करते हैं। उनका प्रयास रहता है कि प्रत्येक सदस्य को सदन में बोलने का मौका मिले। यह सदन पवित्र सदन है। जनता का सदन है। जनता का मान मर्यादा का पालन सदन में प्रत्येक सदस्य से कराना उनका दायित्व है।

देवनानी ने कहा कि मंगलवार को सदन में उनकी भावुकता की स्थिति में विभिन्न दलों के विधायकों ने उनके प्रति सहानुभूति की जो भावना व्यक्त की है, उसके लिए वे सभी सदस्यों के आभारी हैं।

उन्होंने कहा कि सदन में गतिरोध की स्थिति में उसे समाप्त करने के लिए उन्होंने हर स्तर पर प्रयत्न किया। उनका प्रयास था कि हर हाल में गतिरोध समाप्त हो और सदन चले। इसके लिए उन्होंने पक्ष और प्रतिपक्ष की बातें सुनी। उनको माना लेकिन इसके बावजूद भी कुछ सदस्यों का व्यवहार सदन की मर्यादा के विपरीत था।

देवनानी ने कहा की कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा हो, वे सदन को हाईजैक नहीं करने देंगे। देवनानी ने कहा कि सदन की कार्रवाई को वे बिना गतिरोध के नियमित रूप से चलने का पूरा प्रयास करेंगे।

देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा को वे देश की सर्वश्रेष्ठ विधानसभा बनाना चाहते हैं, इसके लिए वे निष्ठा से कार्य कर रहे हैं। उनका मानना था कि इस कार्य में 16वीं राजस्थान विधानसभा के प्रत्येक सदस्य की भी महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन कुछ विधायकों के व्यवहार से बहुत व्यथित हुए हैं। देवनानी ने कहा कि वह कठोरता से सदन में अनुशासन के साथ नियमों का पालन कराएंगे। इसके लिए वह हर स्तर पर प्रयास करेंगे।